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रासायनिक खेती स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही, उपजाऊ मिट्टी में घुल रहा जहर हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट के ग्लोबल गाइड कमलेश डी पटेल 'दाजी' ने कहा- जैविक खेती ही एकमात्र विकल्प,
Friday, 23 Jun 2023 00:00 am
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हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट के ग्लोबल गाइड कमलेश डी पटेल 'दाजी' ने कहा- जैविक खेती ही एकमात्र विकल्प, 

हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट के ग्लोबल गाइड एवं श्री रामचंद्र मिशन के अध्यक्ष, आध्यात्मिक गुरु कमलेश डी. पटेल दाजी का कहना है कि भारत में रासायनिक खेती लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए अमृत तुल्य मिट्टी में जहर घोल रही है, जो भविष्य के लिए अत्यंत घातक है। इससे बचने का एकमात्र विकल्प जैविक खेती है, जिसे प्रोत्साहन देकर सरकार को कृषकों को साधन मुहैया कराना चाहिए। श्री दाजी ने यह बात दैनिक भास्कर से चर्चा करते हुए कही।
हैदराबाद में 1400 एकड़ बंजर भूमि को कान्हा शांति वनम के रूप मैं विकसित करने हेतु सफल जैविक प्रयोग करने वाले श्री दाजी ने कहा कि देश में जैविक खेती कठिन नहीं है और न ही इससे उत्पाद की मात्रा कम होती है, पर सही विशेषज्ञ और जानकारी का होना आवश्यक है।

चारकोल बढ़ाता है उत्पादन
उन्होंने बताया कि जैविक खेती में चारकोल का बहुत महत्व है। 10 ग्राम एक्टिव चारकोल एक एकड़ भूमि की सतह को सुधारने के काम आता है। चारकोल का काम जमीन के टॉक्सिंस को कम करना है। जिस तरह डायरिया होने पर डॉक्टर चारकोल का उपयोग दवाई के रूप में करते हैं, उसी प्रकार विशेषज्ञ की सलाह से खेती में चारकोल का उपयोग करने से जमीन का स्वास्थ्य सुधरता है और उत्पादन भी रासायनिक खेती की तुलना में डेढ़ गुना हो जाता है।

कैंसर तक होता है केमिकल खेती से
श्री दाजी ने कहा कि रासायनिक खेती ने बीमारियों को भी बढ़ावा दिया है। यूरिक एसिड बढ़ना हो या फिर थायरॉइड हो जाना अथवा किडनी खराब होना। इन सबके पीछे का मूल कारण यूरिया और अन्य केमिकल खादें हैं। कई किसान अपने घरों में केमिकल खाद स्टोर करते हैं और उनमें कैंसर जैसी बीमारियाँ देखने मिलती हैं। इससे रासायनिक खाद के उपयोग की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। देश और नागरिकों के स्वास्थ्य को बचाने जैविक खेती ही एकमात्र विकल्प है, जिसके लिए उनका संस्थान अभियान चला रहा है, पर इस अभियान की सफलता तभी है जब कृषकों और नागरिकों को जागरूक करने में सकार पर्याप्त सहयोग दे।

किसानों के लिए आसान प्रयोग
गौमूत्र, गोबर व चना पाउडर को घोलकर इसे कुछ दिनों के लिए ड्रम में बंदकर जमीन के नीचे रखें।
• जब फरमेंटेशन हो जाए तो इसे निकालें और खेती वाली मिट्टी में मिला दें, इसके गुड बैक्टीरिया प्रोडक्शन को बढ़ाते हैं।, रासायनिक खाद की जगह बायो फर्टिलाइजर का उपयोग करें।
• इसी तरह घर व खेत से निकलने वाले . जैविक कचरे का प्रयोग भी जैविक खाद बनाने के लिए करना चाहिए।
• केंचुए वाली खाद भी फायदेमंद होती है, इसे बनाने की विधि और सहायता कृषि केंद्र से मिल जाती है। 

हार्टफुलनेस ध्यान क्या है?
विश्व के लगभग 160 देशों में हार्टफुलनेस इंस्टिट्यूट (संस्था ) द्वारा निःशुल्क ध्यान संचालित किया जाता है। यह यौगिक प्राणाहुति के माध्यम से अपने हृदय में बसे ईश्वर से जुड़ने की विधि है। यौगिक प्राणाहुति अन्य ध्यान की विधियों से अलग व उच्च तकनीक है। जिसका अनुभव हार्टफुलनेस प्रशिक्षकों द्वारा निर्देशित ध्यान सत्र एवं उसके निरंतर अभ्यास से किया जा सकता है।
हार्टफुलनेस ध्यान के लाभ-
मस्तिष्क की शक्ति को ध्यान की सहायता से कई गुना बढ़ाया जा सकता है। मानवता के विकास का मार्ग हृदय से होकर गुजरता है। ध्यान के कारण सहानुभूतिक, दया, प्रेम, शांति और करुणा के भाव के साथ ही दिमाग की संरचना में भी बदलाव आ जाता है। शोध में पाया गया है कि लंबे समय तक ध्यान करने वाले लोग खुश और तनावमुक्त रहते हैं। हार्टफुलनेस संस्था का मुख्य उद्देश्य जनमानस में विश्व बंधुत्व, शांति व अहिंसा के सिद्धान्त को अपनाकर उन्हें श्रेष्ठता की ओर अग्रसर करने में सहायता करना है।
 चंदन की खेती
चंदन की कीमती लकडी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत कर सकती है इस बात को ध्यान में रखकर हमने गाँवों में चंदन के पेड़ों को लगाने की योजना बनाई है। इसके लिए विशेषज्ञों की टीम नवीनतम वैज्ञानिक तकनीक से मिट्टी का उपचार. पौधों की प्राप्ति एवं रोपण के अलावा सिंचाई और उनकी देखभाल करने में मदद कती है। इस योजना में कम से कम 5 एकड़ भूमि में प्रति एकड़ 420 पौधों का प्लांटेशन (पौधारोपण ) किया जाएगा। अनुमानत: INR 80 लाख का निवेश किया जाने पर 15 वर्षों में आज की बाजार दर से INR 60 करोड़ का रिटर्न आएगा।
अरोमा एंड हर्बल प्लांट
अरोमा प्लांट और जड़ी-बूटियां अपनी सुगंध, औषधीय गुणों, खाद्य महत्ता के साथ शैक्षिक, सामाजिक- सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के लिए भी जाने जाते हैं। इसमें तुलसी, मरवाह, पुदीना, मालाबार नट, रोज़मेरी पाईन, स्टेविया, अजवायन, लेमनग्रास आदि पौधे मुख्य हैं। अभी तक हमारी हार्टीकल्चर नर्सरी में इनकी पौध घरों और बगीचों के लिए तैयार की जा रही थी। अब हमारी योजना इन्हें राष्ट्रीय राजमार्गो और रेलवे संस्थानों में लगाने की है। इनके स्वास्थ्यवर्धक और मूल्यवान होने से अर्थव्यवस्था का विकास होगा।
नशा मुक्ति
वर्तमान समाज में नशे की लत गंभीर समस्या है जो जीवन को अंधकारमय कर देता है। इससे मुक्ति के लिए इच्छाशक्ति के साथ-साथ सहयोग भी जरूरी है। इसीलिए हमने मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से एक ऐप बनाया है जो नशामुक्ति हेतु तुरंत डॉक्टर और चिकित्सकों से आपका सम्पर्क कराता है। वर्तमान में पुरुष, महिलाएं, बच्चे और किशोर सभी इसका उपयोग कर रहे हैं। इसके माध्यम से व्यक्ति को चिकित्सकीय सहायता के साथ-साथ प्रशिक्षित ट्रेनर के साथ ध्यान और व्यसन मुक्ति की प्रेरणा और सहयोग भी मिलता है।
ब्राइटरमांइड
ब्राइटर माइड्स न्युरोप्लास्टिककिटी के विज्ञान पर आधारित एक प्रशिक्षण पद्धति है। इसे 5 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के सीखने की कला, तंत्रिका तंत्र को सक्रिय कर उनके संज्ञानात्मक विकास को बढ़ावा देने के लिए डिजायन किया गया है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य विभिन्न मानसिक व्यायाम, ध्वनि  तरंगों और विश्राम के इंटरेक्टिव टूल्स और तकनीकों का उपयोग करके बच्चों  के मस्तिष्क को सक्रिय और अधिक कार्यशील बनाना है। यह बच्चों के मस्तिष्क को बौद्धिक,सामाजिक और भावनात्मक रूप से प्रदीप्त करता है। दो प्रमुख कार्यक्रम अल्फा और अल्फा प्लस है।