घातक है मोबाइल का रेडिएशन
पहले बड़े छोड़ें सोशल मीडिया फिर बच्चों से अपेक्षा करें
पहले बड़े छोड़ें सोशल मीडिया फिर बच्चों से अपेक्षा करें
जबलपुर - 160 देशों में संचालित रामचंद्र मिशन के अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक गुरु कमलेश डी. पटेल 'दाजी' ने कहा कि मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया के दुष्परिणामों से भावी पीढ़ी को बचाना है तो पहले हमें स्वयं बचने की पहल करनी होगी। बच्चे हमेशा बड़ों की नकल करते हैं, इसलिए जब हम आभासी दुनिया के लिए समय को सीमित करेंगे तो ही बच्चों से अपेक्षा कर पाएंगे। दाजी योग दिवस कार्यक्रम में शामिल होने तीन दिनी जबलपुर प्रवास पर हैं। हार्टफुलनेस इंस्टिट्यूट के ग्लोबल गाइड और सफल फार्मासिस्ट दाजी ने कहा कि अध्यात्म और भौतिक जीवन के बीच समन्वय रखकर हम बेहतर जीवन जी सकते हैं। आध्यात्मिक प्रगति कठिन नहीं है पर नासमझी ने इसे कठिन बना दिया है और इसी कारण अपने किसी भी काम से लोग संतुष्ट नहीं हैं। हमारा ये संस्थान ऐसे ही लोगों को प्रेरणा देता है और सोचने-समझने की शक्ति प्रदान करता ।
प्रयोग से सिखाएं बच्चों को
दाजी ने कहा कि अपने बच्चों को चार कटोरियों में 10-10 ग्राम मूंग से स्प्राउट बनाने को कहें। एक कटोरी को वाईफाई के पास, दूसरी की ब्लूटूथ डिवाइस के पास, तीसरी को मोबाइल फोन के पास रखने को कहें। चौथी कटोरी को मेडिटेशन वाली जगह रखें अंकुरण होने पर वो खुद समझ जाएंगे कि उनकी प्रगति के लिए क्या अच्छा है और क्या खराब?
घातक है मोबाइल का रेडिएशन
त्रिवेंद्रम में रूसी वैज्ञानिक रेड ब्लड सेल पर प्रयोग कर रहे थे। तब उन्होंने वैज्ञानिकों से व्हाइट ब्लड सेल की स्लाइड बनाकर उसके पास मोबाइल लाने को कहा और आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिले। डब्ल्यूबीसी को लगा कि मोबाइल का रेडिएशन उनका दुश्मन है और स्लाइड पर ही अपने दुश्मन से निपटने डब्ल्यूबीसी ने अपनी संख्या बढ़ाना शुरू कर दिया।
अनैतिक वेबसाइट्स पर रोक लगे
युवा पीढ़ी के बिगड़ने को लेकर चिंतित दाजी ने कहा कि जब चीन ने अनैतिक वेबसाइट्स पर रोक लगा रखी है तो भारत क्यों नहीं लगा सकता? अगर सरकार की इच्छाशक्ति दृढ़ हो तो युवा पीढ़ी को बिगाड़ने में उत्प्रेरक का काम कर रही है हर अनैतिक गतिविधि पर रोक लग सकती है।
हार्टफुलनेस ध्यान क्या है?
विश्व के लगभग 160 देशों में हार्टफुलनेस इंस्टिट्यूट (संस्था ) द्वारा निःशुल्क ध्यान संचालित किया जाता है। यह यौगिक प्राणाहुति के माध्यम से अपने हृदय में बसे ईश्वर से जुड़ने की विधि है। यौगिक प्राणाहुति अन्य ध्यान की विधियों से अलग व उच्च तकनीक है। जिसका अनुभव हार्टफुलनेस प्रशिक्षकों द्वारा निर्देशित ध्यान सत्र एवं उसके निरंतर अभ्यास से किया जा सकता है।
हार्टफुलनेस ध्यान के लाभ-
मस्तिष्क की शक्ति को ध्यान की सहायता से कई गुना बढ़ाया जा सकता है। मानवता के विकास का मार्ग हृदय से होकर गुजरता है। ध्यान के कारण सहानुभूतिक, दया, प्रेम, शांति और करुणा के भाव के साथ ही दिमाग की संरचना में भी बदलाव आ जाता है। शोध में पाया गया है कि लंबे समय तक ध्यान करने वाले लोग खुश और तनावमुक्त रहते हैं। हार्टफुलनेस संस्था का मुख्य उद्देश्य जनमानस में विश्व बंधुत्व, शांति व अहिंसा के सिद्धान्त को अपनाकर उन्हें श्रेष्ठता की ओर अग्रसर करने में सहायता करना है।
चंदन की खेती
चंदन की कीमती लकडी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत कर सकती है इस बात को ध्यान में रखकर हमने गाँवों में चंदन के पेड़ों को लगाने की योजना बनाई है। इसके लिए विशेषज्ञों की टीम नवीनतम वैज्ञानिक तकनीक से मिट्टी का उपचार. पौधों की प्राप्ति एवं रोपण के अलावा सिंचाई और उनकी देखभाल करने में मदद कती है। इस योजना में कम से कम 5 एकड़ भूमि में प्रति एकड़ 420 पौधों का प्लांटेशन (पौधारोपण ) किया जाएगा। अनुमानत: INR 80 लाख का निवेश किया जाने पर 15 वर्षों में आज की बाजार दर से INR 60 करोड़ का रिटर्न आएगा।
अरोमा एंड हर्बल प्लांट
अरोमा प्लांट और जड़ी-बूटियां अपनी सुगंध, औषधीय गुणों, खाद्य महत्ता के साथ शैक्षिक, सामाजिक- सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के लिए भी जाने जाते हैं। इसमें तुलसी, मरवाह, पुदीना, मालाबार नट, रोज़मेरी पाईन, स्टेविया, अजवायन, लेमनग्रास आदि पौधे मुख्य हैं। अभी तक हमारी हार्टीकल्चर नर्सरी में इनकी पौध घरों और बगीचों के लिए तैयार की जा रही थी। अब हमारी योजना इन्हें राष्ट्रीय राजमार्गो और रेलवे संस्थानों में लगाने की है। इनके स्वास्थ्यवर्धक और मूल्यवान होने से अर्थव्यवस्था का विकास होगा।
नशा मुक्ति
वर्तमान समाज में नशे की लत गंभीर समस्या है जो जीवन को अंधकारमय कर देता है। इससे मुक्ति के लिए इच्छाशक्ति के साथ-साथ सहयोग भी जरूरी है। इसीलिए हमने मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से एक ऐप बनाया है जो नशामुक्ति हेतु तुरंत डॉक्टर और चिकित्सकों से आपका सम्पर्क कराता है। वर्तमान में पुरुष, महिलाएं, बच्चे और किशोर सभी इसका उपयोग कर रहे हैं। इसके माध्यम से व्यक्ति को चिकित्सकीय सहायता के साथ-साथ प्रशिक्षित ट्रेनर के साथ ध्यान और व्यसन मुक्ति की प्रेरणा और सहयोग भी मिलता है।
ब्राइटरमांइड
ब्राइटर माइड्स न्युरोप्लास्टिककिटी के विज्ञान पर आधारित एक प्रशिक्षण पद्धति है। इसे 5 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के सीखने की कला, तंत्रिका तंत्र को सक्रिय कर उनके संज्ञानात्मक विकास को बढ़ावा देने के लिए डिजायन किया गया है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य विभिन्न मानसिक व्यायाम, ध्वनि तरंगों और विश्राम के इंटरेक्टिव टूल्स और तकनीकों का उपयोग करके बच्चों के मस्तिष्क को सक्रिय और अधिक कार्यशील बनाना है। यह बच्चों के मस्तिष्क को बौद्धिक,सामाजिक और भावनात्मक रूप से प्रदीप्त करता है। दो प्रमुख कार्यक्रम अल्फा और अल्फा प्लस है।