story-10
क्या हम अपने ह्रदय की आवाज़ सुन पाते है?
झींगुर की आवाज!
क्या हम अपने ह्रदय की आवाज़ सुन पाते है?
एक बार दो दोस्त विपुल और सात्विक दोपहर के भोजन के बाद न्यूयॉर्क के मिडटाउन में टाइम्स स्क्वायर में टहल रहे थे। चारों ओर लोगों की भीड़ थी। माहौल कारों, टैक्सियों के हॉर्न और साइरन के कोलाहल से भरा था, जिसमें शहर की आवाज दब-सी गई थी। अचानक सात्विक ने कहा, "मुझे झींगुर की आवाज आ रही है!"
उसके दोस्त विपुल ने हँसते हुए कहा, "क्या? तुम कहीं सनकी तो नहीं हो गए हो! इतने शोर में तुम्हे झींगुर की आवाज सुनाई दे रही है! यह तुम्हारा वहम है।"
"नहीं, मुझे यकीन है।" सात्विक ने कहा, "यकीनन यह झींगुर की ही आवाज है।"
"यह पागलपन है!" विपुल ने जोर देकर कहा।
सात्विक ने अपने मित्र विपुल की बात को सुना, फिर एक पल का ठहराव लिया और फिर सड़क के पार सीमेंट के कंटेनर में उगी झाड़ियों के पास गया। उन्होंने झाड़ियों के नीचे झांका और वास्तव में वहाँ एक छोटा-सा झींगुर था। यह देखकर विपुल पूरी तरह से हैरान रह गया।
"यह अविश्वसनीय है! तुम्हारे पास जरूर कोई अलौकिक शक्ति है!", उसके दोस्त ने कहा।
"नहीं।" पहले ने कहा। "मेरे कान तुमसे अलग नहीं हैं। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या सुनना चाह रहे हैं।"
"लेकिन ऐसा नहीं हो सकता सात्विक!" विपुल ने कहा। "मैं तो इतने शोर में कभी भी झींगुर की आवाज नहीं सुन सकता था।"
"हाँ, यह सच है।" उसने जवाब दिया। "यह इस बात पर निर्भर करता है कि हमारे लिए वास्तव में क्या महत्त्वपूर्ण है। आओ मैं तुमको दिखाता हूँ।"
सात्विक ने अपनी जेब में से कुछ सिक्के निकाले और चुपचाप उन्हें फुटपाथ पर गिरा दिया। वहाँ अभी भी भीड़-भाड़ और गाड़ियों का शोर था, लेकिन उन्होंने देखा कि बीस फीट दूरी तक का हर आदमी पीछे मुड़कर देखने लगा कि फुटपाथ पर जो पैसा गिरा, वह उनका था या नहीं।
"अब तुम समझे कि मैं क्या बताना चाहता हूँ?" सात्विक ने पूछा। "यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि हमारे लिए क्या महत्त्वपूर्ण है।"
हम हर उस संदेश को, आवाज़ को, किसी की पुकार को सुन सकते हैं, जो हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है!
दोस्तों जीवन में आई हर समस्या का समाधान हमारे ह्रदय में है, क्यों न हम अपने दिल की सुने।
"जब हम आंकलन करते हैं कि हम निर्णय कैसे लेते हैं, तो हम दिल और दिमाग की परस्पर क्रिया को देखते हैं। हम देखते हैं कि जब हम अपने लिए कुछ ऐसा चुनते हैं जो हमारे लिए अच्छा नहीं है, तो दिल ज़ोर से विरोध करता है, जबकि जब हम सही निर्णय लेते हैं तो वही दिल चुप और शांत रहता है। हमारा दिल हमसे इसी तरह बात करता है; जब हम सही काम करते हैं तो कोई जोर के संकेत नहीं होते हैं।"
दाजी