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Heartfulness story

आध्यात्मिक गणित 

पढ़ने से पहले... धीरे से अपनी आँखें बंद करें... मुस्कुराइए... और अपने भीतर की आध्यात्मिकता का आनंद लें...       

एक गाँव में एक बुद्धिमान व्यक्ति रहता था। उसके पास 19 ऊँट थे। एक दिन उसकी मृत्यु हो गयी, और मृत्यु के पश्चात उसकी वसीयत पढ़ी गयी। 

उसमें लिखा था: मेरे 19 ऊँटों में से आधे मेरे बेटे को, उसका एक चौथाई मेरी बेटी को, और उसका पांचवाँ हिस्सा मेरे नौकर को दे दिए जाएँ।

सब लोग चक्कर में पड़ गए कि यह बँटवारा कैसे होगा?

19 ऊँटों का आधा अर्थात् एक ऊँट काटना पड़ेगा, फिर तो ऊँट ही मर जायेगा। चलो एक को काट दिया तो बचे 18, उनका एक चौथाई साढ़े चार- साढ़े चार फिर??

सब बड़ी उलझन में थे। फिर पड़ोस के गाँव से एक बुद्धिमान व्यक्ति को बुलाया गया।

वह बुद्धिमान व्यक्ति अपने ऊँट पर चढ़ कर आया, समस्या सुनी, थोड़ा दिमाग लगाया, फिर बोला इन 19 ऊँटों में मेरा भी ऊँट मिलाकर बाँट दो।

सबने पहले तो सोचा कि एक वह पागल था, जो ऐसी वसीयत कर के चला गया, और अब यह दूसरा पागल आ गया जो बोलता है कि उनमें मेरा भी ऊँट मिलाकर बाँट दो। फिर भी सब ने सोचा बात मान लेने में क्या हर्ज़ है।

19+1=20 हुए।

20 का आधा 10 बेटे को दे दिए।

20 का चौथाई 5 बेटी को दे दिए।

20 का पांचवाँ हिस्सा 4 नौकर को दे दिए।

10+5+4=19, बच गया एक ऊँट जो बुद्धिमान व्यक्ति का था वह उसे लेकर अपने गाँव लौट गया।

इसी प्रकार हम सब के जीवन में भी 19 ऊँट होते हैं। 

5 ज्ञानेंद्रियाँ - (आँख, नाक, जीभ, कान, त्वचा)

5 कर्मेन्द्रियाँ - (हाथ, पैर, जीभ, मूत्र द्वार, मलद्वार)

5 प्राण - (प्राण, अपान, समान, व्यान, उदान)

और

4 अंतःकरण - (मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार)

कुल 19 ऊँट होते हैं।

सारा जीवन मनुष्य इन्हीं 19 ऊँटो के बँटवारे में उलझा रहता है। और जब तक उसमें आत्मा रूपी ऊँट नहीं मिलाया जाता, यानी कि आध्यात्मिक जीवन (आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता से) नहीं जिया जाता, तब तक सुख, शांति, संतोष व आनंद की प्राप्ति नहीं हो सकती। ज्ञान का विकास हृदय की पवित्रता और स्पष्टता से ही हो सकता है।

                      "स्वाध्याय से अस्तित्व के सभी पहलू- शारीरिक, मानसिक भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक - बेहतर हो जाते हैं। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उन अभ्यासों का उपयोग करें जो हमें इसी उद्देश्य के लिए मिले हैं। यह याद रखें कि हृदय ही स्वाध्याय का केंद्र है। जब हम हृदय में बने रहने की कला में निपुण हो जाते हैं, तब सच्चाई से अपने बारे में जानना एक बहुत ही बढ़िया साधन बन जाता है।"
"दाजी"


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