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जहाँ चाह वहाँ राह !

पढ़ने से पहले... अपनी आँखें धीरे से बंद करें... अपने आस-पास के सभी लोगों की मदद करने के लिए अपने दिल में वास्तविक इरादे को महसूस करें,... धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलें और पढ़ना जारी रखें...

जहाँ चाह वहाँ राह!

एक बार की बात है, मिनेसोटा में एक वृद्ध अकेले रहते थे। वह अपने आलू के बगीचे को जोतना चाहते थे, लेकिन अकेले उन वृद्ध आदमी के लिए यह काम बहुत कठिन था। उनका इकलौता बेटा, जिसे इस काम में उनकी मदद करनी चाहिए थी, जेल में था। वृद्ध ने अपने बेटे को एक पत्र लिखा और अपनी परिस्थिति का उल्लेख किया:

बेटा जी,

मुझे बहुत बुरा लग रहा है क्योंकि मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं इस साल अपनी आलू की खेती नहीं कर पाऊँगा। मुझे इस बात का बहुत अफसोस रहेगा क्योंकि तुम्हारी माँ को हमेशा से ही आलू की खेती करना पसंद था। मैं अब बहुत बूढ़ा हो गया हूँ और अपने आप से इस खेत की खुदाई करना अब मेरे लिए असंभव है। तुम यहाँ होते तो मेरे सारे कष्ट दूर हो जाते। मुझे पता है कि अगर तुम जेल में नहीं होते तो तुम मेरे लिए खेत जरूर जोत देते।

सप्रेम,

तुम्हारे पापा

शीघ्र ही वृद्ध व्यक्ति को उनके पत्र के उत्तर में अपने पुत्र से यह जवाब प्राप्त हुआ:

'भगवान के लिए उस खेत को मत खोदना! मैंने अपनी बंदूकें वहीं जमीन में दबा रखी हैं!'

अगली सुबह 4 बजे, एक दर्जन एफबीआई एजेंट और स्थानीय पुलिस अधिकारी बिना किसी पूर्व सूचना के आये और बंदूकों की तलाश में पूरा खेत खोद डाला।

पर अंत में उनको निराशा हाथ लगी क्योंकि उन्हें वह नहीं मिला जिसकी वे तलाश कर रहे थे। इस उलझन के बारे में वृद्ध ने अपने बेटे को एक और पत्र लिखा कि ये सब क्या हुआ? और अब आगे क्या करना है?

इस पर उनके बेटे का जवाब आया: बस अब उन खेतों में आलू बोने की तैयारी करो, पापा। यही सबसे अच्छा तरीका था जो मैं यहाँ से आपके लिए खेत जोतने की मदद के रूप में कर सकता था। '

कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम दुनिया में कहीं भी हैं, अगर हमारे पास कुछ करने की गहरी इच्छा है, तो चीजें निश्चित रूप से उसी तरह हो सकती हैं, जैसा हम चाहते हैं। कुछ करने का सच्चा इरादा ही मायने रखता है!

एक मजबूत इच्छा हमेशा चीजों को ठीक से करने का तरीका ढूँढती है।

                "सभी चुनौतियों को खुशी-खुशी स्वीकार करें और देखें कि फिर परिस्थितियाँ कितनी सुंदरता से उभरती हैं" ।
दाजी

 


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